चिकित्सा विज्ञान

💉चिकित्सा विज्ञान

इंसान हर दौर में बीमार होते रहे हैं। इसी कारण औषधि और उपचार का तरीक़ा भी किसी-न-किसी रूप में हर युग में पाया जाता रहा है, लेकिन प्राचीनकाल में कभी भी औषधि विज्ञान को वह बड़ी तरक़्क़ी नहीं मिल सकी, जो इस्लाम के बाद के दौर में और फिर वर्तमान समय में इसे हासिल हुई।

️कहा जाता है कि विचारणीय रूप से चिकित्सा विज्ञान की शुरुआत प्राचीन यूनान में हुई। प्राचीन यूनान में दो बहुत बड़े-बड़े चिकित्सक पैदा हुए। एक बुक़रात (Hippocrates) और दूसरा जालिनूस (Galen)।
◆बुक़रात का ज़माना पाँचवीं और चौथी सदी ईसा पूर्व है। हालाँकि बुक़रात के जीवन के बारे में बहुत कम पता है। बाद के लोगों ने यह अंदाज़ा लगाया है कि हिप्पोक्रेट्स यानी बुक़रात शायद 460 ईसा पूर्व में पैदा हुआ और शायद 377 ईसा पूर्व में उसकी मृत्यु हुई। यहाँ तक कि कुछ विद्वानों और खोजकर्ताओं को उसके ऐतिहासिक व्यक्तित्व होने पर संदेह है। दर्शनशास्त्र, दवा और चिकित्सा की जो पुस्तकें उसके नाम से प्रसिद्ध हैं, उनके बारे में भी यह संदेह किया गया है कि वह उसी की लिखी हुई हैं या दूसरों ने लिखकर उनको बुक़रात के नाम से नामित कर दिया है। 

Encyclopaedia Britannica (1984), Vol. 8, Pg. 942-43 

जालिनूस प्राचीन युग का दूसरा सबसे महत्वपूर्ण दार्शनिक और चिकित्सक समझा जाता है। जालिनूस शायद 129 ई० में पैदा हुआ और 199 ई० में उसकी मृत्यु हुई। रोम में जालिनूस को बहुत विरोध का सामना करना पड़ा। जालिनूस की अधिकतर लिखित सामग्री नष्ट हो गई और शेष भी तबाह हो गई होती। यह केवल अरब थे, जिन्होंने 9 वीं सदी में उसकी यूनानी पांडुलिपियों (Manuscripts) को एकत्र किया और उनका अरबी भाषा में अनुवाद किया। उसके बाद 11 वीं सदी में ये अनूदित पुस्तकें यूरोप में पहुँचीं और उन्हें अरबी से लैटिन में अनूदित किया गया। ◆एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका (1984) ने जालिनूस के बारे में अपनी खोज के परिणाम को इन शब्दों में लिखा है कि जालिनूस के अंतिम वर्षों के बारे में बहुत कम जानकारी प्राप्त है।
◇“Little is known of Galen’s final years.” 
Encyclopaedia Britannica (1984), Vol. 7, Pg. 850

चिकित्सा के क्षेत्र में यह बात सही है कि प्राचीन यूनान में कुछ बड़े और बहुत ही बुद्धिमान लोग पैदा हुए, लेकिन बुक़रात और जालीनूस जैसे लोगों का अंजाम बताता है कि प्राचीन यूनान में वह हालात मौजूद न थे, जिनमें ऐसे लोगों को महत्ता और श्रेय प्राप्त हो सके और न ही वह माहौल मौजूद था, जिसमें चिकित्सा विधि-विज्ञान के रूप में उन्नति कर सके। तरह-तरह की अंधविश्वासी आस्थाएँ इस प्रकार की स्पष्ट खोज और जाँच-प्रयोग की राह में बाधा बने हुए थे। उदाहरण के तौर पर बीमारियों को रहस्यमय शक्तियों से संबंधित करना। वनस्पति और दवा वाले पदार्थों में बहुत-सी चीज़ों को पूज्य और पवित्र मान लेना आदि।

️यूनान में चिकित्सा विज्ञान की शुरुआत मसीह के आगमन के लगभग दो सौ वर्ष पहले और दो सौ वर्ष बाद के युग में हुई। इस प्रकार यूनानी चिकित्सा विज्ञान का युग लगभग चार सौ या पाँच सौ वर्ष है। इसके बाद स्वयं यूनान में यह विज्ञान और अधिक आगे न बढ़ सका। यूनान यूरोप का एक देश है, लेकिन यूनानी चिकित्सा विज्ञान की निरंतरता यूरोप में जारी न रह सकी कि वह पश्चिम में आधुनिक चिकित्सा विज्ञान को अस्तित्व में लाने का माध्यम बन सके। यह घटना स्वयं इस बात का सबूत है कि प्राचीन यूनान का माहौल चिकित्सा विज्ञान की उन्नति के लिए अनुकूल और सहायक न था।

यूनानी चिकित्सा विज्ञान जिसे कुछ अलग-अलग व्यक्तियों ने पैदा किया था, यह सभी प्रयास व्यक्तिगत स्तर पर थे, क़ौम या समुदाय के द्वारा इसे आम मंजूरी नहीं दी गई थी। वह अपने अस्तित्व में आने के बाद लगभग एक हज़ार वर्ष तक अज्ञात पुस्तकों में बंद पड़ा रहा। यहाँ तक कि अब्बासी शासनकाल (750-1258 ई०) में उन पुस्तकों के अरबी अनुवाद किए गए। अरबों ने अधिक वृद्धि के साथ चिकित्सा विज्ञान को नए सिरे से संपादित किया। इसके बाद ही यह संभव हुआ कि यह विज्ञान यूरोप में पहुँचा और आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के अस्तित्व में आने का माध्यम बना।

✅इसका कारण यह है कि इस्लामी क्रांति से पहले दुनिया में अनेकेश्वरवाद और अंधविश्वास का बोलबाला था। उस युग का वातावरण इतना प्रतिकूल और विरोधी था कि कोई इंसान अगर ज्ञान-विज्ञान की खोज का काम करता तो लोगों की ओर से उसके हौसले को बढ़ावा नहीं मिलता था, बल्कि अक्सर उसे कड़े विरोध का सामना करना पड़ता था। इस कारण इस प्रकार के प्रयास अगर अलग अलग व्यक्तियों की सतह पर दिखाई भी देते तो उसे तुरंत और सख़्ती के साथ दबा दिया जाता था। लोगों ने रोग और उपचार का संबंध देवताओं से जोड़ रखा था। ऐसी स्थिति में इलाज की वैज्ञानिक विधि की बात लोगों को अपील नहीं करती थी। इस्लाम के माध्यम से जब दुनिया में एकेश्वरवाद की क्रांति आई, उसके बाद ही यह संभव हुआ कि चिकित्सा विज्ञान की तरक़्क़ी का वह दरवाज़ा खुले, जो अंततः आधुनिक चिकित्सा विज्ञान तक पहुँच जाए।

✨पैगंबर-ए-इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्ल. का एक कथन इन शब्दों में नक़ल किया गया है:-

◇ईश्वर ने जो भी बीमारी उतारी है, उसके साथ उसकी दवा भी उतारी है। जिसने इसे जाना, उसने जाना और जो इससे अनजान रहा, वह इससे अनजान रहा ; लेकिन मौत की कोई दवा नहीं।

☆सहीह बुखारी 5678,5687
☆मुसनद अहमद 7623

पैगंबर-ए-इस्लाम का यह कथन एक क्रांति के पथ-प्रदर्शक की हैसियत से दिखाया गया रास्ता था। इसलिए जैसे ही आपने अपनी ज़बान से इस चिकित्सीय सच्चाई की घोषणा की, दूसरी ओर इतिहास व्यावहारिक रूप से इसके साँचे में ढलना शुरू हो गया।

जारी….

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